संत धर्मदास जी के वंशों के विषय में

प्रश्न: संत धर्मदास जी की गद्दी दामा खेड़ा वाले कहते हैं कि इस गद्दी से नाम प्राप्त करने से मोक्ष संभव है ?

उत्तर: संत धर्मदास जी का ज्येष्ठ पुत्रा श्री नारायण दास काल का भेजा हुआ दूत था। उसने बार-बार समझाने से भी परमेश्वर कबीर साहेब से उपदेश नहीं लिया। पुत्र प्रेम में व्याकुल संत धर्म दास जी को परमेश्वर कबीर साहेब जी ने नारायण दास जी का वास्तविक स्वरूप दर्शाया। संत धर्म दास जी ने कहा कि हे प्रभु मेरा वंश तो काल का वंश होगा।  यह कह कर संत धर्मदास जी बेहोश (अचेत) हो गए। काफी देर बाद होश में आए। फिर भी अतिचिंतित रहने लगे। उस प्रिय भक्त का दुःख निवारण  करने के लिए परमेश्वर कबीर साहेब जी ने कहा कि धर्मदास वंश की चिंता मत कर। यह काल का दूत है। उसका वंश पूरा नष्ट हो जाएगा तथा तेरा बियालीस पीढी तक वंश चलेगा। तब संत धर्मदास जी ने पूछा कि हे दीन दयाल !  मेरा तो इकलौता पुत्र नारायण दास ही है। तब परमेश्वर ने कहा कि आपको एक शुभ संतान पुत्र रूप में मेरे आदेश से प्राप्त होगी। उससे केवल तेरा वंश चलेगा। तब धर्मदास जी ने कहा था कि हे प्रभु ! आप का दास वृद्ध हो चुका है। अब संतान का होना असंभव है। आपकी शिष्या भक्तमति आमिनी देवी का मासिक धर्म भी बंद है। परमेश्वर कबीर साहेब ने कहा कि मेरी आज्ञा से आपको पुत्रा प्राप्त होगा। उसका नाम चुड़ामणी रखना। यह कह कर परमेश्वर कबीर साहेब ने उस भावी पुत्र को धर्म दास के आंगन में खेलते दिखाया। फिर अन्तध्र्या न कर दिया। संत धर्म दास जी शांत हुए। कुछ समय पश्चात् भक्तमति आमिनी देवी को संतान रूप में पुत्र प्राप्त हुआ उसका नाम श्री चुड़ामणी जी रखा। बड़ा पुत्र नारायण दास अपने छोटे भाई चुड़ामणी जी से द्वेष करने लगा। जिस कारण से चुड़ामणी जी बांधवगढ़ त्याग कर कुदरमाल नामक शहर (मध्य प्रदेश) में रहने लगा। कबीर परमेश्वर जी ने संत धर्मदास जी से कहा था कि धार्मिकता बनाए रखने के लिए अपने पुत्र चुड़ामणी को केवल प्रथम मन्त्र (जो ये दास, रामपाल दास प्रदान करता है) देना जिससे इनमें धार्मिकता बनी रहेगी तथा तेरा वंश चलता रहेगा। परंतु आपकी सातवीं पीढ़ी में काल का दूत आएगा। वह इस वास्तविक प्रथम मन्त्र को भी समाप्त करके मनमुखी अन्य नाम चलाएगा। शेष धार्मिकता का अंत  ग्यारहवां, तेरहवां तथा सतरहवां गद्दी वाले महंत कर देंगे। इस प्रकार तेरे वंश से भक्ति तो समाप्त हो जाएगी। परंतु तेरा वंश फिर भी बियालीस (42) पीढ़ी तक चलेगा। फिर तेरा वंश नष्ट हो जाएगा।  

प्रमाण पुस्तक “सुमिरण शरण गह बयालिश वंश” लेखक: महंत श्री हरिसिंह राठौर, पृष्ठ 52 पर -

वाणी: सुन धर्मनि जो वंश नशाई, जिनकी कथा कहूँ समझाई।।93।।
काल चपेटा देवै आई, मम सिर नहीं दोष कछु भाई।।94।।
सप्त, एकादश, त्रायोदस अंशा, अरु सत्रह ये चारों वंशा।।95।।
इनको काल छलेगा भाई, मिथ्या वचन हमारा न जाई।।96।।
जब-2 वंश हानि होई जाई, शाखा वंश करै गुरुवाई।।97।।
दस हजार शाखा होई है, पुरुष अंश वो ही कहलाही है।।98।।
वंश भेद यही है सारा, मूढ जीव पावै नहीं पारा।।99।।
भटकत फिरि हैं दोरहि दौरा, वंश बिलाय गये केही ठौरा।।100।।
सब अपनी बुद्धि कहै भाई, अंश वंश सब गए नसाई।।101।।

उपरोक्त वाणी में कबीर परमेश्वर ने अपने निजी सेवक संत धर्म दास साहेब जी से कहा कि धर्म दास तेरे वंश से भक्ति नष्ट हो जाएगी वह कथा सुनाता हूँ। सातवीं पीढ़ी में काल का दूत उत्पन्न होगा। वह तेरे वंश से भक्ति समाप्त कर देगा। जो प्रथम मन्त्र आप दान करोगे उसके स्थान पर अन्य मनमुखी नाम प्रारम्भ करेगा। धार्मिकता का शेष विनाश ग्यारहवां, तेरहवां तथा सतरहवां महंत करेगा।  मेरा वचन खाली नहीं जाएगा भाई। सर्व अंश वंश भक्ति हीन हो जाएंगे। अपनी-2 मन मुखी साधना किया करेंगे।

Last update: March 15th, 2020