Madan Pati is Rambh Doot or Kaal Doot

कबीर साहेब के द्रोही कौन व उसके लक्षण

आज हम आपको ऐसा राज़ बताने जा रहे है जिसको सुनकर आप हैरान हो जायेगे व सचेत हो जायेगे। और इसको जान कर अपने आप को भाग्यशाली समझेंगे की परमात्मा ने हमे काल के मुख में जाने से बचा लिया। परमेश्वर कबीर साहेब आज से लगभग 622 वर्ष पहले इस मृत्यु मंडल में आये थे। तब कबीर साहेब ने अनेको वाणियो द्वारा अनमोल ज्ञान का खजाना भक्त आत्माओ के लिए खोला था। और भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में भी बताया था। कबीर साहेब धरमदास जी कह रहे है की धर्मदास जो आप मेरे इस ज्ञान को लिख रहे हो इसमें आगे चल कर काल के दूत मिलावट कर देंगे। मेरे द्वारा बताए गए ज्ञान को दुबारा से बताने के लिए एक संत जन्म लेगा जिसका नाम गरीबी दास होगा। जिसका जन्म संवत 1774 में होगा। वह मेरे ज्ञान को दोबारा सही से प्रकट करके जाएगा। उनके नाम से बारहवा पंथ चलेगाए परंतु उसके अनुयायी पार नही होंगेए फिर बाहरवें पंथ में मैं खुद आऊँगा और सब पंथों को मिटाकर तेहरवां पंथ चलाऊंगा। जोकि तेरहवां पंथ कहलायेगा। जो कि अलग नाम से चलेगा:- संत रामपाल जी गरीबदास जी के बारहवें पंथ से उपदेशी है। जिन्होंने सारा तत्वज्ञान भगतो को बता दियाए समझा दिया है। तेरहवां पंथ सतगुरु रामपाल जी के नाम से चलेगा।

वाणी:

बारहवें पंथ प्रकट होवे वाणी । शब्द हमारे की निर्णय ठानी ।।
ये बारह पंथ हमहि को आवे । निश्चल घर का मर्म ना पावे ||
बारहवें पंथ में हमहि चल आवे । सब पंथ मिटाकर एक ही पंथ चलावे ।।

कबीर साहेब ने अनुराग सागर में बहुत ही गहरा राज बताया है, अनुराग सागर के प्रष्ट न. 132-133 पर चार काल के 4 दूतों का वर्णन लिखा है। ये काल दूत वाणीयों मेरी पढ़ेंगे और भक्ति काल की करवायेंगे। जिनके नाम इस प्रकार है रंभ, कुरंभ, जय, विजय।

अब हम आपको रंभदूत के बारे में अनुराग सागर में लिखे प्रमाण दिखायेंगे, जिसे जानकर आप अपने आप को भाग्यशाली समझोगे व अनमोल मानव जन्म को बर्बाद होने से बचाओगे |

रंभदूत के लक्षण जानिए

  1. रंभदूत भगवान व भक्त दोनों नाम रखेगा | जैसे:- रामसेवक दास साहेब, वैराग दास साहेब |
  2. सतलोक, अलख, अगम और अनामी लोक का खंडन करेगा | रंभदूत कहेगा ऊपर कोई लोक नहीं है |
  3. मुझे (कबीर) नाशवान, जन्म-मृत्यु व पांच तत्वों के वश में बताएगा | मदन पति के चेले यह सब कहते हैं |
  4. मेरी भक्ति विधि का विरोध करेगा ( दो अक्षर ओउम-सोऽहं का जाप नहीं करना, ज्योति, हवन-यज्ञ नहीं करना आदि-२)
  5. आत्मा को परमात्मा के बराबर का बताएगा |
  6. आत्मा व परमात्मा को बराबर की पावर का बताएगा |
  7. मेरी वाणी पढ़कर बहस करता फिरेगा |
  8. मेरा (कबीर साहेब) का नाम लेकर पंथ चलाएगा और झूठ बोलेगा कि मेरा पंथ असली है |

वाणी:- अनुराग सागर के प्रष्ट न. 132-133 पर लिखी रंभ दूत के बारे में कबीर साहेब द्वारा बोली व लिखी वाणीया प्रमाण सहित देखिये: -

रंभ दूत का वर्णन

रंभ दूत कर करौं बखाना । गढ कालिंजर रोपिहे थाना॥
भगवान भगत वहिनाम धराई। बहुतक जीव लेई अपनाई ॥
जो जियरा होइहिं अंकूरी । सो बांचहि यम फन्दा तूरी॥
रंभ जोरावर यम बड़ द्रोही | तुमहि खंडि अरु खंडिहि मोही॥
आरती नरियर चौका संहारी | खंडिहि लोकदीप सबझारी ॥
ज्ञान ग्रन्थ औ खंडिहिं बीरा। कथहिं रमैनी काल गभीरा ॥
मोर वचन लेइ करे तकरारा । तेही फांस फँसे बहुसारा ॥
चारों धार कथे असरारा । हमार नाम ले करे पसारा ॥
आपहि आप कबीर कहाई। पांचतत्त्व बसि मोहि ठहराई॥
थापिहिं जीव पुरुष समभाई | खंडिहिं पुरुष जीव वर लाई॥

-कबीर सागर, अनुराग सागर, पृष्ठ १३२

रंभ दूत कर करौं बखाना । गढ कालिंजर रोपिहे थाना॥
भगवान भगत वहिनाम धराई। बहुतक जीव लेई अपनाई ॥

इन वाणीयों में साहिब बता रहे हैं एक रंभ दूत गढ़ कालिंजर में पैदा होगा { गढ़ कालिंजर में मदन पति का आश्रम था | गढ़ कालिंजर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में है, जहां पर रंभ दूत मदन पति को काल भगवान ने दर्शन देकर भ्रमित किया था | काल ने झूठ बोल कर कहा था मैं कबीर परमात्मा हूं, तुझे भक्ति का गूढ़ रहस्य बताता हूँ | सिर के ऊपर चमड़ी में ध्यान (सुरती) लगाना है [यहां पर सार शब्द होता है] और कोई साधना नहीं करनी है, जैसे:- अक्षर वाले किसी भी मंत्र का जाप नहीं करना व स्वास के साथ किसी नाम का जाप नहीं करना है | त्रिकुटी में नहीं जाना है और ज्योति-हवन यज्ञ नहीं करना है|

मदन पति ने गढ़ कालिंजर में अपना स्थान बनाया था | उनसे अब चार गद्दिया चल रही है | यह अपने नाम के साथ साहेब (भगवान) और दास दोनों लगाते हैं |

 भगवान भगत वहिनाम धराई। बहुतक जीव लेई अपनाई ॥

कबीर साहिब ने बताया था “हे धर्मदास! ये रंभ दूत काल का भेजा हुआ दूत होगा, उसकी ये पहचान होगी जो अपने नाम के साथ भगवान (साहेब व दास) भक्त दोनों लगाएगा और बहुत जीवो को अपना शिष्य बना कर काल के फंदे में फँसाएगा | साहेब परमात्मा को बोला जाता है और दास भगत को कहते हैं |

वाणी:

जो जियरा होइहिं अंकूरी । सो बांचहि यम फन्दा तूरी॥

-कबीर सागर, अनुराग सागर, पृष्ठ १३२

इस वाणी में कबीर साहब कह रहे हैं जो जीव भक्ति ज्ञान का अधिकारी होगा व ज्ञानी होगा, वह इसके जाल में नहीं फंसेगा अर्थात इसके जाल ‘यम फंदे’ को तोड़ देगा | मूर्ख ही इसके जाल में फंसेगा|

रंभ जोरावर यम बड़ द्रोही | तुमहि खंडि अरु खंडिहि मोही॥

-कबीर सागर, अनुराग सागर, पृष्ठ १३२

 भावार्थ: साहेब कबीर जी बता रहे हैं यह रंभ दूत तेरा और मेरा बहुत विरोध करेगा | तुझे अज्ञानी बताएगा तथा मुझे भी आम आदमी जैसा नाशवान बताएगा | (कबीर जी भी जन्म-मृत्यु में है, शब्द से आते हैं मर कर शब्द में चले जाते हैं) ऐसा झूठ बोलकर विरोध करेगा | यह मेरे पंथ का सबसे बड़ा विरोधी अर्थात दुश्मन होगा |

 वाणी:

आरती नरियर चौका संहारी | खंडिहि लोकदीप सबझारी ॥

-कबीर सागर, अनुराग सागर, पृष्ठ १३२

भावार्थ: साहेब समझा रहे हैं कि धर्मदास यह काल दूत आरती चौका का विरोध करेगा और ऊपर के लोकों (सतलोक, अलख लोक, अगमलोक, अनामी लोक) को झूठा बताएगा | (ऊपर कोई लोक नहीं है, केवल एक शब्द है, शब्द से ऊपर कुछ नहीं है | { यह बातें ऑडियो द्वारा एक काल दूत यूट्यूब पर डालता है| } जबकि कबीर जी ने अपनी अनेको वाणियों में ऊपर के लोकों का वर्णन विस्तार से बता रखा है और सृष्टि की रचना कबीर साहिब ने अपने सारशब्द (वचन) के द्वारा की है | सारशब्द को कबीर जी ने अपने मुख कमल से उच्चारकर पैदा किया है, जबकि काल दूत अपनी वीडियो में झूठ बोलकर गुमराह करता है:- “कबीर साहेब शब्द से आते हैं और शब्द में मिल जाते हैं, शब्द कबीर साहेब से पहले का है | शब्द कबीर जी से बड़ा है |”) यह झूठ बोलकर कबीर साहिब के अनजान भक्तों को अपने फंदे में फंसा कर उनके अनमोल जीवन को बर्बाद करेगा | ऐसे अनेकों रंभ दूत के अनुयाई झूठा ज्ञान देकर भक्तों को गुमराह करते रहते हैं | इनके झांसे में नहीं आना है, नहीं तो पछताना पड़ेगा |

आरती नरियर चौका संहारी

काल दूत आरती चौका का विरोध करेगा, रंभदूत मदंपति का कोई भी देहधारी गुरु नहीं था, वह आरती चौका का घोर विरोधी था |

ज्ञान ग्रन्थ औ खंडिहिं बीरा। कथहिं रमैनी काल गभीरा ॥

-कबीर सागर, अनुराग सागर, पृष्ठ १३२

भावार्थ: यह काल दूत मेरे ज्ञान को गलत बताएगा, (जैसे दो अक्षर [ओम-सोहम] व सारनाम जो अक्षर में है उनका जाप करने से मना करेगा | ) स्वास के साथ नाम जाप न करने को कहेगा | (त्रिकुटी में नहीं जाना है) जबकि मैंने जो ज्ञान बताया है उसमे नाम (दो अक्षर [ओउम-सोऽहं]) मंत्र देना है और उनका जाप सुरति-निरति, मन, श्वास के साथ करने को कहा है | यह रंभदूत उसको झूठा बता कर अलग से अपना ज्ञान कथेगा जो सीधा नरक का रास्ता होगा |

वाणी:

मोर वचन लेइ करे तकरारा । तेही फांस फँसे बहुसारा ॥

-कबीर सागर, अनुराग सागर, पृष्ठ १३२

भावार्थ: यह रंभदूत मेरी वाणियों को न समझकर उन वाणियों को तोड़-मरोड़ कर पेश करेगा | उल्टा अनुवाद करके गलत बहस करेंगे यह रंभ दूतों की पहचान होगी | इसके जाल में बहुत से अनजान अज्ञानी जीव फस जाएंगे |आज के दिन जो भी मदद पति पंत का साधु है, वह सारा कचरा ज्ञान परोस कर अनाप-शनाप बहस करते हैं |

वाणी:

चारों धार कथे असरारा । हमार नाम ले करे पसारा ॥

-कबीर सागर, अनुराग सागर, पृष्ठ १३२

भावार्थ:- यह रंभदूत मेरे द्वारा बताई गई चारों भक्ति की विधि को गलत बताएगा (जैसे एक यज्ञ है धर्म की, दूजी यज्ञ है ध्यान | तीसरी यज्ञ हवन की, चौथी यज्ञ प्रणाम |  यह  काल का दूत अपने मिथ्या भाषणों में चिल्ला-चिल्लाकर कहता है: “दान नहीं देना है, ज्योति नहीं जलानी है, दंडवत प्रणाम नहीं करना है, आरती आदि नहीं करनी है” | चारों यज्ञो के न करने से प्राणी कर्म हीन बना रहेगा, उसका मोक्ष कभी नहीं हो सकेगा | कर्म हीन मानव किसी जन्म में परमात्मा को नहीं पहचान पाते हैं | काल यही चाहता है, इसलिए काल भगवान ने अपने दूत मदन पति को भेजकर काल का पंथ चला रखा है |

वाणी:

आपहि आप कबीर कहाई। पांचतत्त्व बसि मोहि ठहराई॥

-कबीर सागर, अनुराग सागर, पृष्ठ १३२

भावार्थ:- यह रंभदूत अपने आप यानी आत्मा को परमात्मा (कबीर साहेब) कहेगा | मुझे भी जन्म-मृत्यु (पांच तत्व) में बताएगा | यह कॉल दूध आज के दिन झूठा अज्ञान परोस रहे हैं |

यह कालदूत नकली कबीरपंथी वीडियो के माध्यम से चिल्लाता है “आत्मा ही कबीर परमात्मा है, आत्मा भूल से अपना निजस्वरूप भूल गई है, जब अपना निजरूप देख लेने के बाद आत्मा को पता चलेगा कि तू ही सब कुछ है, तेरे ऊपर कुछ नहीं है | आत्मा ही सतनाम, सारनाम, अकहनाम और परमात्मा आदि है |” ऐसा काल के दूत प्रचार करते हैं | यह बात कबीर साहिब जी धर्मदास जी को पहले ही बता दिया था, जो आज कबीर सागर में मौजूद है | प्रमाण के लिए इन दूतों की विडियो मौजूद है | ये बोलते है आत्मा ही स्वयं कबीर साहेब है |

वाणी:

थापिहिं जीव पुरुष समभाई | खंडिहिं पुरुष जीव वर लाई॥

-कबीर सागर, अनुराग सागर, पृष्ठ १३२

भावार्थ: इस पंक्ति में साहब बता रहे हैं काल रंभदूत जीव को पुरुष (परमात्मा) के बराबर का बताएगा और जीव को परमात्मा बताकर परमात्मा का नामोनिशान मिटाना चाहेगा | यह भी बताएगा कि आत्मा व परमात्मा की ताकत एक जैसी है|

वाणी:

कर्मी जीवहि पुरुष ठहराई । पुरुष गोइहिं आपु प्रगटाई ॥
जो यह जीव आपुहिं होई । नाना दुख कस मुगुते सोई॥
पांच तत्त्ववसि जीव दुख जावे। जीव पुरुष कहँ सम ठहरावे॥
अजर अमर पूरुषकी काया ।कला अनेक रूप नहिं छाया॥
अस यमदूत खण्ड देइ ताही । थापे जीव पुरुष यह आही।

-कबीर सागर, अनुराग सागर, पृष्ठ १३३

भावार्थ: ये अज्ञानी रंभदूत अथवा उसके चेले कबीर परमात्मा को गुप्त करने की कोशिश करेंगे | अपने को यानी जीव को कर्ता बताएंगे | साहेब कहते हैं यदि जीव ही करता यानी सृष्टि का रचने वाला भगवान है तो यह जीव नाना प्रकार के दुःख 84 लाख योनियों में पड़कर क्यों भोग रहा है | पांच तत्वों के बस में पड़ा है | काल दूत अपनी विडियो में यही बोलते हैं |

अजर अमर पुरुष की काया, कला अनेक रूप नही छाया |
अस यमदूत खंड दी ताहि, थापे जिव पुरुष यह आही ||

-कबीर सागर, अनुराग सागर, पृष्ठ १३३

भावार्थ: कबीर साहिब जी कह रहे हैं पुरुष यानि परमात्मा का शरीर (काया) अजर अमर है और काल दूत का शरीर तो नाशवान है, यह जीव को पुरुष बताकर गुमराह करके अपने फंदे में फंसाएगा |

 तिस सागर झाई निज देखी। धोखा गहे निअच्छर लेखी।
 बिनु दर्पण दरसे निज रूपा। धर्मनि यह गुरुगम्य अनूपा॥

-कबीर सागर, अनुराग सागर, पृष्ठ १३३

भावार्थ: इस संसार में जो यह कहते हैं कि अपना निजरूप देख लो, वह धोखे में पड़ जाएगा | परमात्मा का निजी रूप आपको खुली आंखों से दिखाई देगा | पूर्ण गुरु जी की कृपा व बताई भक्ति विधि से ही संभव होगा |

वाणी:

आँख न मुंदो कान न रुंधो, काया कष्ट न धारों |
खुले नैन साहेब देखों, सुंदर रूप निहारों ||

यह वाणी प्रमाणित करती है की परमात्मा का रूप आपको खुली आँखों से दिखाई देगा, जबकि काल के दूत कहते है की अपना खुद का रूप देखों |

मदन पति ही असली रंभदूत है

मदनपति काल दूत का अनुयाई रभदूत शिव दयाल जी (आगरा वाले संत) को सिद्ध करना चाहता है, अब जानिए सच्चाई को:-

रंभदूत का चेला आगरा वाले संत शिवदयाल जी को रंभ दूत सिद्ध करने पर लगा है, इसके लाख कोशिश के बाद भी वह सिद्ध नहीं कर सकता, आप स्वयम प्रमाण देखे और निर्णय करें | कबीर साहेब वाणी में कहते है रंभदूत गढ़ कालींजर में अपना ठिकाना बनाएगा |

प्रमाण नं. ०१: गढ़ कालिंजर आगरा वालों को बताना चाहता है, झूठ बोल रहा है | यह अपने विडियो में खुद स्वीकारता है की मदंपति गढ़कालिंजर में रहे है | वाणीओं का भावार्थ व सच्चाई से मदनपति ही रंभदूत है, वैसे तो सभी पंथ काल के चलाएं हैं संत रामपाल जी महाराज के पंथ को छोड़कर |

प्रमाण नं. ०२: रंभदूत के अनुयाई का दूसरा झूठ ये है, जहां लिखा है भगवान-भगत वह नाम धरायेगा | यहां साहिब नाम के लिए कह रहे हैं | वह अपने नाम के साथ भगवान (साहिब) भगत (दास) दोनों लगाएगा | आज रंभदूत के अनुयाई भी अपने नाम के साथ दास व साहब दोनों लगाते हैं | 

राधास्वामी पंथ का नाम चल रहा है ना कि राधा स्वामी गुरुओं का नाम चल रहा है | राधा स्वामी का कोई भी गुरु अपने नाम के साथ राधास्वामी नहीं लगाता है | इससे सिद्ध हुआ असली रंभदूत (कालदूत) मदन पति व उसका पंथ है |

कबीर साहेब कहते है रंभ दूत आत्मा और परमात्मा को बराबर की शक्ति बतायेगा |

प्रमाण नं. ०३: रंभदूत मदनपति का पंथ आत्मा को परमात्मा के समान (बराबर) का बताता हैं जबकि राधा स्वामी पंथ आत्मा को बूंद तथा परमात्मा को सागर बताते हैं | इस प्रमाण से स्वत सिद्ध है की रंभदूत (कालदूत) मदनपति ही है |

कबीर साहेब की वाणी कहती है रंभदूत (कालदूत) उपर के लोकों को मना करेगा, उपर कोई लोक नहीं है |

प्रमाण नं. ०4: रंभदूत ऊपर कोई लोक नहीं बताता है जबकि कबीर साहेब व गरीबदास जी (छुड़ानी जिला-झज्जर, हरियाणा वाले को कबीर साहिब जी मिले) दोनों की वाणी में सतलोक का वर्णन अनेक स्थानों पर मिलता है, परंतु राधा स्वामी वाले ऊपर के लोको को मानते हैं, ये बात भी रंभदूत की झूठी साबित हुई | इस प्रमाण से भी मदन पति रंभदूत हैं | इस दूत की झूठी परंपरा को इसके अनुयाई आगे चला रहे हैं |

प्रमाण नं. ०5: आरती, चौका व नारियल मदनपति बिल्कुल नहीं करते थे | इसको करने से मना किया करते थे | मदन पति कोई गुरु नहीं था, वह किसकी चौका-आरती करते..?

प्रमाण नं. ०6: कबीर साहब कहते हैं रंभदूत (काल दूत) आत्मा को परमात्मा (कबीर) बताएगा |  रंभदूत मदनपति, आत्मा को परमात्मा कहता है जबकि राधास्वामी आगरा वाले आत्मा को परमात्मा नहीं कहते हैं, परमात्मा को अलग बताते हैं | इस प्रमाण से भी प्रमाणित हो गया है असली रंभदूत मदन पति है |

प्रमाण नं. ०7: मेरा नाम (कबीर साहेब) का नाम लेकर अपना पंथ चलाएगा | यह काल दूत मदनपति का चेला कहता है, “हमारा पंथ तेरहवां और असली कबीर पंथ है” जबकि राधा स्वामी वाले तो कबीर साहिब से अलग अपना पंथ चला रहे हैं, उसके पंथ में कबीर साहेब का नाम नहीं चलता है|

प्रमाण नं. ०८: “मोर वचन ले करे तकरारा” यहां कबीर साहब कहते हैं मेरी वाणियों को लेकर बहस (तकरार) करेगा | यह रंभदूत की पहचान होगी | यह मदन पति के चेले कबीर साहेब की वाणियों को लेकर बहस करते हैं, कहते फिरते हैं कबीर साहिब की वाणियों का सही अनुवाद हम ही करते हैं और कहते हैं कबीर साहेब का ज्ञान हमारे पास ही है, जबकि राधास्वामी आगरा वाले कबीर साहेब की वाणी के पर कभी बहस नहीं करते,  शिवदयाल जी आगरा वाले ने अपना अलग ग्रन्थ बना रखा है | इस वाणी से भी रंभदूत मदन पति ही सिद्ध होता है |

यह ज्ञान व इसका भेद सतगुरु रामपाल जी महाराज के सत्संग प्रवचनो से लिया गया है | सतगुरु रामपाल जी सन 1993 से लेकर सन 2001 तक कबीर साहिब व गरीबदास साहेब की वाणियों का खुलासा करते थे | सन 2001 के बाद और भक्तों को समझाने के लिए गीता, वेद-पुराण, गुरु ग्रंथ साहिब आदि का भेद समझाने में ज्यादा व्यस्त हो गए, इसलिए गूढ़ रहस्यों का सत्संग रोक दिया गया था |

सच की पहचान ज्ञान से होती है | रंभदूत मदन पति का चेला एक वीडियो के माध्यम से कहता है कि कबीर साहेब की वाणीयों का सही अर्थ मैं ही करता हूं | यह कालदूत कहता है मदन पति ही असली संत है, मदन पति का नाम कबीर साहिब और गरीबदास जी की वाणी में प्रमाण के तौर पर दिखाता है | 

वाणी क्या कहती है:

कलयुग का मध्य कहूं, मदन का सिक्का धरही |
बिताती जंग बन्धी, बहु विधि छल-बल कर ही ||

वाणी कहती है कलयुग के मध्य में सभी जीव कामी (मदन) छल, कपट करने वाले हो जाएंगे | मदन का अर्थ कामवासना होता है | कबीर साहेब की वाणी में देखिएगा |

गुरु ग्रंथ साहिब के पेज नंबर 1194  पर:

ईशु तन मन मदन चोर, जिनि गिआन रतनु हिरि लीन मोर|

वाणी कह रही है कि इस शरीर व मन के अंदर मदन (काम) चोर का वास है, इस मदन (काम) चोर ने मेरा ज्ञान रत्न को चुरा लिया है |

यह अज्ञानी इसका भी अनुवाद उल्टा करता है, इससे इसके अज्ञान का पैमाना आप स्वयं ही देख सकते हैं | यह सभी वाणियों का गलत अनुवाद करके पेश करता है |

Last update: March 17th, 2020